फारबिसगंज स्थित ऐतिहासिक शिव पार्वती मंदिर (बड़ा शिवालय) का इतिहास लगभग डेढ़ सदी पुराना है। 1863 ईस्वी में स्थापित इस मंदिर को 2001 में बिहार न्यास परिषद में रजिस्टर्ड किया गया था। हालांकि, रजिस्टर्ड होने के बावजूद मंदिर का आय-व्यय का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा गया और ना ही मंदिर का कोई खास विकास हुआ। हाल ही में फारबिसगंज अनुमंडल सभागार में इस मंदिर के विकास और आपसी गुटबाजी को लेकर बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता फारबिसगंज एसडीओ शैलजा पांडे ने की, जिनका कहना था कि अब नई समिति का गठन किया जाएगा। उन्होंने इस पर विस्तृत चर्चा की और मंदिर के विकास की दिशा पर ध्यान केंद्रित किया। बैठक के बाद मंदिर परिसर में एक आम बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें शहर के सैकड़ों महिलाएं और पुरुष शामिल हुए। सभी ने नए समिति के गठन और उनके काम की सराहना की। बैठक में यह बताया गया कि पिछले दो वर्षों से मंदिर में कोई वीआईपी कल्चर नहीं रहा, और सभी श्रद्धालु स्वतंत्र रूप से पूजा-पाठ कर सकते हैं। नई समिति के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर के सभी आय और व्यय का लेखा-जोखा उनके पास है। उन्होंने दावा किया कि वे पिछले दो वर्षों से मंदिर की देखरेख कर रहे हैं और पूरी पारदर्शिता के साथ सभी जानकारी जनता के सामने रखी है।
उन्होंने आग्रह किया कि अगर नई समिति का गठन होता है, तो उनकी समिति को ही मंजूरी मिले क्योंकि उन्होंने हर पहलू पर पारदर्शिता रखी है और मंदिर का विकास सुनिश्चित किया है। बैठक में शामिल सैकड़ों लोगों ने इस नए समिति के गठन को लेकर अपना समर्थन व्यक्त किया और आशा जताई कि आने वाले समय में मंदिर का और भी समग्र विकास होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार न्यास परिषद नई समिति का गठन करते समय किसे प्राथमिकता देता है: उन लोगों को जिन्होंने 20 वर्षों में कोई लेखा-जोखा नहीं दिया या उन लोगों को जिन्होंने पिछले दो वर्षों में मंदिर का विकास कर लोगों के सामने पारदर्शिता दिखायी है। यह मुद्दा स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, और सभी की निगाहें अब इस पर होंगी कि अगला कदम किस दिशा में उठाया जाएगा।
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बैठक में शामिल महिलाएं । |